अमिताभ पाण्डेय
नित नई तकनीक और वैज्ञानिक अनुसंधान की सफलता के कारण मनुष्य ने अनेक असाध्य बीमारियों को पूरी तरह खत्म कर दिया है। इसके बाद भी कुछ ऐसी बीमारियाॅ हैं जो कि आज भी सम्पूर्ण मानवता के लिए समस्या बनी हुर्ह है।

टी बी यानी ट्यूबरक्लोसिस ऐसी ही एक जानलेवा बीमारी है जिसकों वैज्ञानिकों की तमाम कोशिशों के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए टी बी को खत्म करना चुनोैती बना हुआ है ।  इस बीमारी के कारण दुनियाभर में हर साल 90 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी ग्लोबल टी बी रिपोर्ट के अनुसार भारत में टी बी की बीमारी के मरीज बडी संख्या में हैं। हमारे देश में हर साल लगभग 20 लाख लोग इस बीमारी से पीडित होते है। अधिकारिक जानकारी के अनुसार विश्वभर में करीब 5 मेें से 1 टी बी का मरीज भारतीय होता हेै । भारत में इस बीमारी से  3 लाख से ज्यादा मरीजों की प्रतिवर्ष मौत हो जाती है।  हमारे देश में टी बी के रोज लगभग 25 हजार नये मामले सामने आते हैं। इस बीमारी के कारण भारत में हर दिन 1200 से अधिक और हर दो मिनिट में तीन लोगों की मौत हो जाती है। जो लोग टी बी के मरीज हैं और खांसने,छींकने,जोर से सांस लेने छोडनें में मुहं पर रूमाल नहीं रखते ऐसे लोग टी बी के कीटाणुओं को हवा में फैलाते हैं। इनके कारण टी बी की बीमारी के कीटाणु हवा में फैलते रहते हैं और जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती हेै उसके शरीर में ये कीटाणु जल्दी प्रवेश कर जाते हैं। टी बी का मरीज अपने आसपास के शिशु, बच्चों,पुरूषों, महिलाओं सभी को संक्रमित कर सकता हेै। कुपोषित और कमजोर बच्चों पर  इसका दुष्प्रभाव तेजी से होता हेै। दुनिया भर में हर साल 15 करोड से अधिक बच्चों को टी बी की बीमारी होती है । उनमें से 1 लाख 30 हजार से ज्यादा बच्चों की मोैत हो जाती है। राष्टीय टी बी अनुसंधान संस्थान चैन्नई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 60 हजार से अधिक बच्चों को टी बी की बीमारी हो जाती है। इनमें से ज्यादातर बच्चों को फेफडे का टी बी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में महिलाओं की मौत के जो पांच प्रमुख कारण हैं , टी बी उनमें से एक है। मरने वाली महिलाओं में ज्यादातर की उम्र 15 से 45 वर्ष के बीच होती हेै। गभर्वती महिलाओं को टी बी का संक्रमण होने का खतरा अपेक्षाकृत अधिक होता है।  दुनियाभर में  हर साल टी बी के कारण 4 लाख 80 हजार से अधिक महिलाओं की मौत हो जाती है। अन्य देशांे की अपेक्षा भारत जैसे विकासशील देशों में इस बीमारी को बढने की संभावना अधिक होती है। भारत की गिनती उन देशों में है जहाॅ टी बी के सर्वाधिक मरीज पाये जाते हैं।

भारत सरकार ने वर्ष 1962 में टी बी की बीमारी को खत्म करने के लिए राष्टीय टी बी नियंत्रण कार्यक्रम प्रारंभ किया । इसके बाद वर्ष 1998 में इसमें संशोधन कर अलग अलग चरणों में लागू किया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सरकार टी बी के मरीजों को मुफत जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाती है। मरीजांे के लिए इलाज पूरी तरह निशुल्क होने के बाद भी लोग इसका उपचार पूरी तरह नहीं करवाते हैं जिसके कारण यह बीमारी बढती चली जाती हेै।
टी बी भारत की सबसे बडी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। इसको पूरी तरह खत्म करने के लिए सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। अब जरूरत इस बात हेै कि टी बी से बचाय के लिए चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाया जाये । लोगोे के बीच इस बीमारी से बचे रहने के उपायों का अधिक बेहतर तरीके  से प्रचार प्रसार हो ताकि लोग बीमारी से बचे रहे सकें। जो इस बीमारी से पीडित हेैं उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे अपना पूरा उपचार करवायें और इस रोग को खत्म होने तक लगातार दवाईयां डाक्टर की सलाह से लेते रहें क्योकि टी बी की दवांईयां का सेवन बिना डाक्टर की सलाह के बंद कर देना मरीज ही नहीं उसके आसपास रहने वाले अन्य लोगों के लिए भी नुकसानदेह हो सकता हेै।

 

 

 

Source : लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं । संपर्क: 9424466269